Sunday 29 November 2020

ज़मात की नमाज़ में शामिल होने का तरीका

कई बार ऐसा हो जाता है के हम किसी वजह से मस्जिद देर से पहुंचते हैं और जमात खड़ी हो चुकी होती है और नमाज़ शुरू हो जाती है ऐसे में हम जमात में कैसे शामिल हों.

हम 4 फज़ऱ् की जमात का एक्साम्पल लेते हैं.

(1) मान लो अगर जमात अभी खड़ी हुई है और हम पहुँच गए और अगर इमाम साहब 'अल्हम्दु' या कोई क़ुरान की सूरह पढ़ रहे हैं तो हम भी जमात में 'अल्लाहु अकबर' कह कर अपने हाथों को नाफ के नीचे बाँध कर नमाज़ में शामिल हो जाएं. जब कुरान की तिलावत शुरू हो चुकी हैं तो हम 'सना' नहीं पढ़ेंगे बल्कि चुप खड़े रहेंगे.

(2) अगर इमाम साहब पहली रकअत के रुकू में थे और हम पहुंचे उस टाइम हम अल्लाहू अकबर केहकर अपने हाथों को कानों तक उठाएंगे फिर 2-3 सेकंड अपने हाथों को नाफ़ के नीचे बाँध कर खड़े रहेंगे और फिर रुकु में चले जाएंगे अगर हम रुकु में जाकर इमाम साहब के साथ 1 तसबीह भी पढ़ ली तो मतलब हमको वो पूरी रकत मिल गई. लेकिन अगर हम रुकु में जा रहे थे और इमाम साहब ने 'समि अल्ला हुलेमन हमीदा' कह दिया तो फिर हमको वो रकत नहीं मिली भले ही हमने भी रुकु कर लिया और तस्बीह पढ़ ली हो लेकिन क्योंकि हम 1 तस्बीह (सुभान रब्बियल अज़ीम) भी इमाम साहब के साथ नहीं पढ़ सके अब हमको 1 रकत इमाम साहब के सलाम फेरने के बाद पढऩा पढेगी. मतलब रुकू के बाद जहां से भी नमाज़ में शामिल होते हैं मतलब वो रकत हमारी निकल चुकी है और इमाम साहब के सलाम फेरने के बाद हमको वापस पढऩा पढेगी,

(3) अगर इमाम साहब पहली रकात के पहले सज्दा में थे और हम पहुंचे तो हम 'अल्लाहु अकबर' कहकर अपने हाथों को नाफ़ के नीचे बाँध कर 2-3 सेकंड खड़े रहेंगे (सना नहीं पढ़ेंगे) और रुकू भी नहीं करेंगे सीधे सज्दा में जाएंगे और तस्बीह पढ़ेंगे.

(4) अगर इमाम साहब पहली रकात के दूसरे सज्दा में थे और हम पहुँचे तो हम 'अल्लाहु अकबर' कहकर अपने हाथों को नाफ़ के नीचे बाँध कर 2-3 सेकंड खड़े रहेंगे (सना नहीं पढ़ेंगे) और रुकू भी नहीं करेंगे और पहला सजदा भी नहीं करेंगे सीधे दूसरे सज्दा में इमाम के साथ शामिल हो जाएंगे.

(5) अब क्योंकि हमारी एक रकत छूट चुकी है इसलिए हम बाकी नमाज़ (3 रकत) इमाम साहब के साथ पढ़ेंगे और जब इमाम साहब एक सलाम फेरेंगे तो हम उनके साथ सलाम नहीं फेरेंगे बल्कि ऐसे ही बैठे रहेंगे जब इमाम साहब दूसरा सलाम फेरेंगे तब हम बची हुई नमाज़ को पढऩे के लिए खड़े हो जाएंगे  इसलिए दूसरे सलाम का इंतज़ार किया जाता है क्योंकि हो सकता है इमाम साहब 'सजदा' साहू' कर दें. 

जब हम खड़े हो गए तो इमाम साहब से अलग हो गए और बची हुई एक रकत को पढ़ेंगे. अब खड़े होकर अपने हाथों को नाफ के नीचे बाँध कर सबसे पहले सना पढेंगे फिर अल्हम्दु शरीफ फिर कोई कुरान की आयत. क्योंकि ये सब चीज़े हमसे पहली रकात में छूट गई थी इनको यहाँ पढेंगे. बाकी नमाज़ जेसे पढ़ते हैं वैसे ही पढ़ेंगे. इस तरह हमने 3 रकत इमाम के साथ पढ़ी और 1 अकेले तो कुल 4 रकत हो गई.

(6) अगर इमाम साहब दूसरी रकअत के लिए खड़े हो गए और हम फिर पहुंचे तो मतलब हमारी 1 रकत ही छूटी लेकिन अगर हम ऐसे टाइम पहुचे जब इमाम साहब रुकू से खड़े हो रहे थे (और हम एक भी तस्बीह इमाम साहब के साथ नहीं पढ़ सके) तो इसका मतलब हमारी दूसरी रकअत भी छूट गई अब हमको इमाम साहब के सलाम फेरने के बाद 2 रकत और पढना होगी. इसके लिए इमाम साहब के सलाम फेरने के बाद हम खड़े हो जाएंगे और वह 'सना' अल्हम्दु शरीफ और कोई कुरान की सूरह पढेंगे और इस रकत में 'अत्तहिय्यत के लिए नहीं बैठेंगे बल्कि दूसरी रकअत के लिए खड़ा हो जाएंगे. अब दूसरी रकअत में भी अल्हम्दु के बाद कोई क़ुरान की सूरह पढ़ेंगे. अब दूसरी रकात में अत्तहिय्यत के लिए बैठेंगे और दरुद और दुआ पढ़ कर सलाम फेर देंगे. इस तरह हमने 2 रकत इमाम के साथ पढ़ी और 2 अकेले तो कुल 4 रकत हो गई.

(7) अगर हम ऐसे टाइम पहुंचे जब इमाम साहब तीसरी रकात के लिए खड़े थे और हम पहुंचे तो इसका मतलब हमारी 2 रकत निकल चुकी और हमने तीसरी रकात इमाम साहब के साथ पा ली इस कंडीशन में भी हमको बची हुई 2 रकत ही पढऩा है लेकिन अगर इमाम साहब रुकू से उठ रहे थे और हम रुकू में पहुँचे या इसके बाद पहुंचे तो इसका मतलब हमारी तीसरी रकअत भी निकल चुकी मतलब अब हमको इमाम साहब के सलाम फेरने के बाद भी 3 रकत और पढऩा है इसके लिए इमाम साहब के सलाम फेरने के बाद हम खड़े हो जाएंगे यहाँ 'सना' अल्हम्दु और क़ुरान की सूरह पढऩे के बाद रुकू सज्दा करेंगे और अत्तहिय्यत के लिए बैठ जाएंगे क्योंकि 1 रकत हमने इमाम साहब के साथ अदा की थी इसलिए ये हमारी दूसरी रकअत है क्योंकि दूसरी रकात में अत्तहिय्यत पढऩे के लिए बैठते हैं इसलिए यहाँ अत्तहिय्यत के लिए बैठना ज़रुरी है अब तीसरी रकअत के लिए खड़े होंगे तो तीसरी रकअत में भी अल्हम्दु के बाद एक कुरान की आयत पढ़ेंगे लेकिन इस रकत में अत्तहिय्यत में नहीं बैठेंगे क्योंकि इमाम साहब के साथ वाली रकअत मिला कर ये हमारी तीसरी रकअत है इसलिये रुकू सज्दा के बाद वापस खड़े हो जाएंगे और अब सिर्फ अल्हम्दु पढेंगे. क्योंकि फज़ऱ् नमाज़ में शुरू की 2 रकत में ही अल्हम्दु के बाद क़ुरआन की आयत पढ़ी जाती है इसलिए आखरी रकात में क़ुरआन की सूरह नहीं पढ़ेंगे. क्योंकि इससे पहले की 2 रकत में हम क़ुरान की आयत पढ़ चुके हैं.

(8) अगर  हम ऐसे टाइम पहुंचे जब चौथी रकत शुरू हो चुकी थी तो अब हमको इमाम साहब के सलाम फेरने के बाद 3 रकत ही  पढऩा है, लेकिन अगर हम इमाम साहब के रुकू करने के बाद पहुंचे तो मतलब हमारी चौथी रकत भी निकल चुकी, अब इमाम  साहब  के  सलाम  फेरने  के  बाद  हमको 4 रकत पढऩी है

(9) अगर हम ऐसे टाइम पहुंचे जब इमाम साहब 'अत्तहिय्यत' पढ़ रहे है तो इसका मतलब हमारी 4 रकत निकल चुकी है, लेकिन जमात में शामिल होने के लिए अल्लाहु अकबर कहकर हाथों को नाफ के नीचे 2-3 सेकंड बाँधकर रखेंगे और रुकू सजदा नहीं करेंगे, हम भी सीधे 'अत्तहिय्यत' के लिए बैठ जाएंगे और अत्तहिय्यत पढ़ेंगे, अत्तहिय्यत के बाद दरूद और दुआ नहीं पढ़ेंगे. जब इमाम साहब सलाम फेरेंगे तो हम अपनी नमाज़ के लिए खड़े हो जायेंगे और बची हुई नमाज़ को अदा करेंगे. 

सना कब पढ़ेंगे अगर हम शुरू से ही इमाम साहब के साथ हैं तो इमाम साहब के अल्लाहु अकबर कहते ही फ़ौरन हम भी अल्लाहु  अकबर कहकर सना पढ़ लें. लेकिन अगर इमाम साहब ने क़ुरान की तिलावत शुरू कर दी तो फिर हम सना जितनी पढ़ी है उसको  वही छोड़ दे, चाहे वो पूरी न हुई हो. या बिलकुल भी न पढ़ी हो.

अगर हम ऐसे टाइम जमात में शामिल हुए जब क़ुरान की तिलावत शुरू हो चुकी थी तब सिर्फ अल्लाहु अकबर कहकर जमात  में  शामिल हो जाइये, सना न पढि़ए.

अगर ऐसे टाइम जमात में शामिल हुए जब 1 या ज़्यादा रकत निकल चुकी थी तब सना उस टाइम पढ़ी जाएगी जब हम बची हुई  नमाज़ के लिए खड़े होंगे और यहाँ इमाम साहब के बाद वाली पहली रकत में सना पढ़ेंगे.

जब किसी रकत में शामिल हुए तो वो रकत हमारी तब तक मानी जाएगी के अगर हम इमाम साहब के साथ रुकू में शामिल होकर कम से कम 1 बार तस्बीह पढ़ ली हो, अगर रुकू के बाद शामिल हुए तो इसका मतलब वो रकत हमारी निकल चुकी, भले ही हम सजदा इमाम साहब के साथ करें, और अगर ऐसा हुआ के इमाम साहब रुकू में थे और हम भी रुकू में जा रहे थे लेकिन  तस्बीह न पढ़ी थी और इतने में इमाम साहब ने 'समय अल्लाहु हुलेमन हमीदा कह दिया तो भले ही हम इसके बाद रुकू में जाकर  तस्बीह पढ़ लें, लेकिन ये रकत हमारी नहीं हुई.

अगर किसी को कुछ कन्फूजन है तो पूछ ले. यहाँ हमने कोशिश की है कि कोई गलती ना हो लेकिन फिर भी कोई गलती रह गई हो तो कमेंट करिये, ताकि वो गलती हमको भी पता लगे और दुसरो को भी.

अल्लाह हम सबको सही तरीके से नमाज़ पढऩे की तौफीक अता करे, आमीन.