#मंसूरी समाज ज्यादातर लोग हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई ब्राह्मण दलित यादव अंसारी सैफी लोहार दलित की जाति के बारे में जानते होंगे आज मैं आपको बताता हूं मंसूरी समाज के बारे में मंसूरी समाज अपने आप में सब्र का एक उदाहरण है आप सोच रहे होंगे कैसे आपने देखा होगा रोड पर दुकानों पर गांवों में शहरों में सभी जगह सर्दियों के टाइम में रजाई और गद्दे बनाने का काम किया जाता है वह ज्यादातर मंसूरी समाज के लोग किया करते है अब इसमें सब्र की बात कहां आती है यह मैं आपको बताता हूं सर्दी के 4 महीने में से 3 महीने मंसूरी समाज के लोगों एक काम का सीजन होता है मतलब काम बहुत चलता है उसके बाद गर्मी आती है उसके बाद बरसात जी हां बाकी 9 महीने मंसूरी समाज के लोग सिर्फ और सिर्फ कम आमदनी में भी सब्र कर कर जीवन यापन करते हैं और कोशिश करते हैं अपने परिवार का पालन पोषण कर सके कहां तो यूं भी जाता है कि मंसूरी समाज मैसूर के राजा टीपू सुल्तान के वंशज है मैसूर से ही मंसूरी बना और और राजा के वंशज आज सरकार की तरफ टिकटिकी लगाए देखते हैं कोई तो सरकार होगी जो इनकी तरफ भी देखेगी और जहां तक मेरी जानकारी है मुस्लिमों में सबसे पिछड़ा समाज अगर कोई है तो वह मंसूरी समाज है जो पुश्तैनी काम है वह ज्यादातर खत्म हो चुके हैं रूई के गद्दे की जगह फोम के गद्दे आ गए हैं रुई की रजाई यों की जगह कंबल ने ले ली है यह पोस्ट डालने का मतलब और मकसद बस यही है यह समाज बहुत परेशान है इस समाज के बारे में सभी लोगों को सोचने की जरूरत है
आज मैं मंसूरी समाज के लोगों से सिर्फ यही अपील करना चाहता हूं कि आप दो के बदले एक ही रोटी खाएं मगर अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षित करें बस एक यही हथियार है जिसके जरिए गरीबी और लाचारी की जिंदगी से बाहर आ सकते हैं
एक बार सोचे जरूर
आपका अपना हनीफ अहमद मंसूरी
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